बड़ी मुश्किल से घर से निकला मै शहर के लिए
वसंत ने रोक लिया, कहा,
बाग देख तो लो।
उसकी आरजू थी, फिर हुई मेरी मर्जी
बहुत घूमा, बहुत कुछ देखा
किसी ने रोका नही, ख़ुद से मैं रुका भी नही
प्यार क्या चीज है बता दूँ कैसे
एक एहसास है दिल में कहो बतला दूँ,
पाँव के काँटों ने एहसास कराया है साहिब
इस गली में गुलाब हैं साहिब।
-रोशन प्रेमयोगी