23/03/09

कोई पतवार गढो फ़िर से


कोई उम्मीद करो ख़ुद से

कोई रास्ता तलाशो ख़ुद से

कोई पतवार गढो ख़ुद से

कोई नाव बनाओ खुसे

कभी गंगा में जाओ ख़ुद से

कभी रेत से नहाओ ख़ुद से

कभी पानी लुटाओ ख़ुद से

कभी डुबकी लगाओ ख़ुद से

तुम्हे भी मंजिल मिल जायेगी

सफलता तुम्हारे भी हाथ आयेगी

न भी आए तो उदास मत हो

एक बार मुस्कुराओ ख़ुद से

अपनी असफलता को स्वीकार करो

एक बार

नयी उम्मीद करो ख़ुद से

कोई पतवार गढो फ़िर से

कोई नाव चलाओ फ़िर से

-रोशन प्रेमयोगी

14/03/09

तुम्हारा प्यार फूल बन जय



जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार फूल बन जय


काँटों को भी महकाए


जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार हवा बन जाए


pahadhon को भी sheetalata pahunchaye
जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार pani बन जाए


aasaman की भी pyas bujheye


जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार rooh बन जाए


कृष्ण भी उसे pane को lalachye


to milo vidhya शर्मा से


jinka प्यार nihal है


परिवार khushahal है


(vidhya mere naye upanyas FOUNTEN LOVE ki main kirdar hain)


-रोशन premyogi



09/03/09

होली मेरे लिए सपना है






मुझे पसंद है पीला रंग



पीली कनेर की तरह हो जो भीनी खुशबू वाला



जिसमे हो एक सपना एक प्यार एक मर्यादा



एक उमँग एक तरंग



मुझे पसंद है सपना को देखना



मुझे पसंद है सपना से प्यार करना



मुझे पसंद है कनेर का फूल देखना



मुझे पसंद है पीला रंग



अजीब बात यह है मैं कनेर सा पीला रंग खेलना चाहता हूँ



जिसमे भीनी खुशबू हो



जो बाजार में नही मिलाता



सो मैं सपना से खेलता हूँ रंग



फूलों को देख मन में भर लेता हूँ उमँग



होली मेरे लिए सपना है



होली मेरे लिए पीली कनेर है



होली मेरे लिए मन की उमँग है



होली मेरे लिए गीत है



जिसे केवल याद करता हूँ गाता नही



क्यों की मेरा सुर नहीं अच्छा है



वैसे भी मुझे केवल गुनगुनाना अच्छा लगता है



क्योंकी मई नही चाहता की लोग जान लें की



रोशन को येही गीत पसंद है



लोग यह जान लेंगे तो नज़र लगा देंगे



-रोशन प्रेमयोगी



04/03/09

जिन्हें रिश्ते नहीं मिलते

जिन्हें रिश्ते नहीं मिलते

उन्हें गैरों ने पाला है

वे हर मौसम में खिलते हैं

ऐसे रंगों में ढाला है

-रोशन प्रेमयोगी

उजाले की तलाश

कल जब शाम ढल रही थी
मेरी पलको तले था एक सपना
थोड़े अंधेरे में
उजाला तलाश रहा था सपने में
सुबह से ही नही थी बिजली
जब मै था उजाले के बेहद करीब
अचानक जल गया बल्ब
टूट गया सपना बुझ गया प्रकाश
कल जब शाम ढल रही थी
बहुत याद आयी तुम्हारी
अगर तुम होती घर में बल्ब न जलाता
खली पंखा चलता
बड़ा होता मेरा सपना
हासिल कर लेता मै प्रकाश