14/03/09

तुम्हारा प्यार फूल बन जय



जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार फूल बन जय


काँटों को भी महकाए


जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार हवा बन जाए


pahadhon को भी sheetalata pahunchaye
जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार pani बन जाए


aasaman की भी pyas bujheye


जो चाहते हो


तुम्हारा प्यार rooh बन जाए


कृष्ण भी उसे pane को lalachye


to milo vidhya शर्मा से


jinka प्यार nihal है


परिवार khushahal है


(vidhya mere naye upanyas FOUNTEN LOVE ki main kirdar hain)


-रोशन premyogi



3 comments:

  1. bahut sunder rachana hai,badhai.baki kavitaye bhi bahut pasand aayi.

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  2. बहुत ख़ूबसूरत, यह बीच में अंग्रेजी क्यों टंकण किया जी?

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    चाँद, बादल और शाम
    गुलाबी कोंपलें

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  3. बहुत सुन्‍दर कविता।

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