जितनी बार तुलसी ने याद किया होगा राम को
उससे अधिक बार मैंने तुमको याद किया है
तुम्हारे भरोसे आज़ादी की ५१वी जएंती पर
सुभाष चंद्र बोस के परिवर्तन चौक पर
मैंने ताल ठोंक कर कहा था
मैं आमपंथी हूँ
आज भी मेरी घोषणा पर
लोग हंसते हैं
उन्हें लगता है
दुनिया में दो ही विचारधाराएँ हैं
दछिन पंथ और वाम पंथ
जो हंसते हैं
उन्हें लगता है,
लोहिया विचारधारा नहीं थे
दीन दयाल उपाध्याय नेता नहीं थे
ओशो दार्शनिक नहीं थे
अयोध्या, काशी और चित्रकूट में लोग ईश्वर को तलाशते हैं
जबकि मैंने तुमको पाया है
तुम्हारे राम
महात्मा गाँधी के राम से बड़े थे
तुम्हारी भारतमाता
वीर सावरकर के हिंदुत्व से ज्यादा पूज्यनीय हैं
तुम्हारा धर्म
महात्मा बुध के बाद का सन्मार्ग है
तुम्हारी राजनीति
कांग्रेस के आगे का राजपथ है
जब कभी मस्जिद की अजान सुनकर
कोई हिंदू सर झुकाता है
तो वह तुम्हारा समाजवादी लगता है
जब अयोध्या के हनुमान मन्दिर में
कोई मुसलमान घंटा बजाता है
तो वह तुम्हारा रामायण मेला लगता है
मेरे लोहिया,
२१वी सदी की राजनीति से तुम्हारा नाम गायब है
लेकिन बहुत दुखी नहीं हूँ मैं
क्योंकि महात्मा गाँधी, आंबेडकर, जयप्रकाश नारायण और पेरियार भी नहीं हैं सीन में
१०० साल पहले महात्मा गाँधी ने अछूत को गले लगाया था
हजारों लोगों की आँखों में आंसू आ गए थे
लांखो लोग भड़क गए थे
१०० दिन पहले राहुल गाँधी एक दलित के घर सो गए
अखबार रंग गए
टेलीविज़न चिल्लाने लगा
लेकिन, न किसी की आँखों में आंसू आए
न किसी की भृकुटी तनी।
अरे नहीं
सर्द नहीं हुआ है भारतियों का खून
प्यार भी कम नहीं हुआ है वफादारी की तरह
केवल भरोसा उठ गया है राजनीति पर से
मेरे लोहिया,
लाखों बच्चे २००९ में भी एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति मानते हैं
करोड़ों युवा ऐ आर रहमान के साथ वंदे मातरम गीत गाते हैं
आज सुबह जब देख रहा था
अपने प्रिय राफेल नडाल को टेनिस में हारते हुए
जयपुर से एक मित्र शांतनु शर्मा का एसएम्एस आया-
चंद्र शेखर आजाद, महात्मा गाँधी और सुभाष आदि ने
अपनी कुर्बानी देकर हमारी मातृभूमि को आजाद कराया
सो, वंदे मातरम बोलने से पहले सोचिये
हमने क्या किया है मातृभूमि के लिए
आज़ादी की ६३वी जएंती पर जरूर संकल्प लीजिये
मातृभूमि के लिए आप भी कुछ कीजिये
कैसा अजीब है सुबह का यह समय
सारा देश आज़ादी की जश्न मना रहा है
मनमोहन सिंह लालकिला से भाषण दे रहे हैं
उनकी पार्टी के लोगों के अलावा मुकेश अम्बानी ताली बजा रहे हैं
बच्चे दिमागी बुखार से मर रहे हैं
बड़े विदेशी फ्लू से डर रहे हैं
थाली से दाल गायब है
धान के खेत पानी के लिए तरस रहे हैं
आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्र मारे जा रहे हैं
चाइना के चिन्तक
भारत को टुकडो में बांटने का मंसूबा बाँध रहे हैं
और
मैं भावुक मन से १५ अगस्त ०९ के दिन
तुमको याद कर रहा हूँ
-रोशन प्रेमयोगी
स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामना
ReplyDeletelamaal kar diya aapne bahut sunder...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा आपने, कभी कमलेश्वर जी ने लिखा था ---'' जरुरी यह नही की आप कहाँ है ;जरुरी यह है की आप जहाँ हैं वहां क्या कर रहे हैं '' आजादी की सालगिरह पर सिर्फ कुछ खानापूरी हो जाती है और बस भूल जाते हैं हम सब तल्खियाँ .
ReplyDeleteroushan aapne sach bahut bahw bhini baat kahi hai ... poori imaandaari ek sachche bhartiiya ki tarah tan man se yaad kiya hai desh ko ... aapke achchhe bhavishya ke liye meri shubhkamnayen
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