04/11/09
एक और क्रांतिकारी
एक और क्रांतिकारी
दो दिन पहले हुई कारन शिशिर दलाल से पहली मुलाक़ात
लगा १९९४ से जनता हूँ
जब मैंने क्रांतिकारी उपन्यास लिखना शुरू किया था
मुंबई के लखपति शिशिर दलाल का
सॉफ्टवेयर इंजिनिएर बेटा जो अगस्त तक
एक बड़ी कंपनी में निदेशक था
वेतन लाखों में था
अब वह लखनऊ के गाँव कुनौरा, बक्शी का तालाब के भारतीय ग्रामीण विद्यालय
में बच्चो और अध्यापको को
कंप्युटर पढ़ा रहा है
दो महीने से
करन खुश हैं सुविधावो की दुनिया छोडकर
उन्हें गरीब बच्चो का साथ भा रहा है
वह क्रांति कर रहे हैं
अमेरिका से करन ने बीई की डिग्री ली है
मुंबई विवि से एलएलबी किया है
पहले उनके पिता शिशिर और माँ अंगना दलाल
उनसे नाराज थे
अब दोस्तों को भी लगता है वह देश की तकदीर बदलने में लगे है
मेरे लिए तो करन दोस्त से पहले क्रन्तिकारी हैं
मेरी भावनाएं उनके साथ है
-रोशन प्रेमयोगी
15/08/09
मातृभूमि के लिए आप भी कुछ कीजिये
जितनी बार तुलसी ने याद किया होगा राम को
उससे अधिक बार मैंने तुमको याद किया है
तुम्हारे भरोसे आज़ादी की ५१वी जएंती पर
सुभाष चंद्र बोस के परिवर्तन चौक पर
मैंने ताल ठोंक कर कहा था
मैं आमपंथी हूँ
आज भी मेरी घोषणा पर
लोग हंसते हैं
उन्हें लगता है
दुनिया में दो ही विचारधाराएँ हैं
दछिन पंथ और वाम पंथ
जो हंसते हैं
उन्हें लगता है,
लोहिया विचारधारा नहीं थे
दीन दयाल उपाध्याय नेता नहीं थे
ओशो दार्शनिक नहीं थे
अयोध्या, काशी और चित्रकूट में लोग ईश्वर को तलाशते हैं
जबकि मैंने तुमको पाया है
तुम्हारे राम
महात्मा गाँधी के राम से बड़े थे
तुम्हारी भारतमाता
वीर सावरकर के हिंदुत्व से ज्यादा पूज्यनीय हैं
तुम्हारा धर्म
महात्मा बुध के बाद का सन्मार्ग है
तुम्हारी राजनीति
कांग्रेस के आगे का राजपथ है
जब कभी मस्जिद की अजान सुनकर
कोई हिंदू सर झुकाता है
तो वह तुम्हारा समाजवादी लगता है
जब अयोध्या के हनुमान मन्दिर में
कोई मुसलमान घंटा बजाता है
तो वह तुम्हारा रामायण मेला लगता है
मेरे लोहिया,
२१वी सदी की राजनीति से तुम्हारा नाम गायब है
लेकिन बहुत दुखी नहीं हूँ मैं
क्योंकि महात्मा गाँधी, आंबेडकर, जयप्रकाश नारायण और पेरियार भी नहीं हैं सीन में
१०० साल पहले महात्मा गाँधी ने अछूत को गले लगाया था
हजारों लोगों की आँखों में आंसू आ गए थे
लांखो लोग भड़क गए थे
१०० दिन पहले राहुल गाँधी एक दलित के घर सो गए
अखबार रंग गए
टेलीविज़न चिल्लाने लगा
लेकिन, न किसी की आँखों में आंसू आए
न किसी की भृकुटी तनी।
अरे नहीं
सर्द नहीं हुआ है भारतियों का खून
प्यार भी कम नहीं हुआ है वफादारी की तरह
केवल भरोसा उठ गया है राजनीति पर से
मेरे लोहिया,
लाखों बच्चे २००९ में भी एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति मानते हैं
करोड़ों युवा ऐ आर रहमान के साथ वंदे मातरम गीत गाते हैं
आज सुबह जब देख रहा था
अपने प्रिय राफेल नडाल को टेनिस में हारते हुए
जयपुर से एक मित्र शांतनु शर्मा का एसएम्एस आया-
चंद्र शेखर आजाद, महात्मा गाँधी और सुभाष आदि ने
अपनी कुर्बानी देकर हमारी मातृभूमि को आजाद कराया
सो, वंदे मातरम बोलने से पहले सोचिये
हमने क्या किया है मातृभूमि के लिए
आज़ादी की ६३वी जएंती पर जरूर संकल्प लीजिये
मातृभूमि के लिए आप भी कुछ कीजिये
कैसा अजीब है सुबह का यह समय
सारा देश आज़ादी की जश्न मना रहा है
मनमोहन सिंह लालकिला से भाषण दे रहे हैं
उनकी पार्टी के लोगों के अलावा मुकेश अम्बानी ताली बजा रहे हैं
बच्चे दिमागी बुखार से मर रहे हैं
बड़े विदेशी फ्लू से डर रहे हैं
थाली से दाल गायब है
धान के खेत पानी के लिए तरस रहे हैं
आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्र मारे जा रहे हैं
चाइना के चिन्तक
भारत को टुकडो में बांटने का मंसूबा बाँध रहे हैं
और
मैं भावुक मन से १५ अगस्त ०९ के दिन
तुमको याद कर रहा हूँ
-रोशन प्रेमयोगी
17/07/09
भीगेगा तुम्हारा तन-मन
खुली आँखों में ढेर सारे बादल रोज़ उमड़ते हैं
लेकिन कभी बरसात नहीं होती
सूखा पड़ गया है दिल की धरती पर
कुछ दोस्त कभी-कभी दिलासा देते हैं
कराएँगे क्लाउड सीडिंग
होगी झमाझम बारिश
भीगेगा तुम्हारा तन-मन
जिस दिन मिलता है दिलासा
दिन भर खुश रहता हूँ
रात को देखता हूँ ढेर सारे सपने
अगले दिन छाया रहता है खुमार
उसके अगले दिन खोलकर बैठता हूँ घर का दरवाज़ा
शाम हो जाती है कोई दोस्त नही आता
मैं अगले दिन निकल जाता हूँ बाज़ार
इस उम्मीद में कि कुछ दोस्त तो मिलेंगे ही
मिलते हैं, सॉरी बोलते हैं, व्यस्तता का बहाना बनाते हैं
अगले हफ्ते आने का वादा करते हैं
मैं खुश
लेकिन वे अगले हफ्ते भी नहीं आते
मैंने भी कल एक रास्ता निकाला है
जब बहुत भीगने का मन करता है तो
आधी रात में छत पर चला जाता हूँ
लेट जाता हूँ
सुबह महसूस करता हूँ
मेरी त्वचा चिपचिपा रही है
खुश होता हूँ
चलो बारिश न सही
ओश में तो भीग गया तन
एक दिन इसी तरह भीग जाएगा मन
-रोशन प्रेमयोगी
23/05/09
मैं खुश नहीं हूँ
बहुत उदास लगाती है सुबह
बहुत निराश लगाती है शाम
मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री बनना
मुझे जाने क्यों गाँधी, लोहिया का अपमान लगता है
गरीब की रोटी मंहगी हो गई
अमीर की रोटी सस्ती
कल जब गया बिग बाज़ार
१४० रुपये में मिला मुझे १० किलो आटा
आज पड़ोस की आटा चक्की पैर एक मजदूर को
मैंने १३.५० के हिसाब से ३ किलो आटा खरीदते देखा
आँखों में आंसू आ गए
१३००० कमाने वाले रोशन प्रेमयोगी वातानुकूलित बिग बाज़ार में
१४ रुपये किलो आटा खरीदते हैं
१०५ रुपये प्रतिदिन मजदूरी पाने वाले सुनील १३.५० में
मुकेश अम्बानी भी शायद रोटी खाते होंगे
वे भी अधिकतम १५-१६ रुपये किलो आटा खरीदते होंगे
उनके आते का दाम विगत १० सालों में लगभग वही है
मज़दूर-किसान के आते का दाम ५ रुपये से बढ़कर १४ तक पहुच गया
हे महात्मा गाँधी!
क्या यह भारतीय विकास का दर्शन देखकर तुम्हारी आंखों में आंसू नहीं हैं?
मेरे जिले में पैदा हुए डॉ राम मनोहर लोहिया तो रो रहे हैं
यह कैसा अन्तोदय है बाबा अम्बेडकर?
जब भारत आजाद हुआ था तो इस देश में साछरता दर लगभग २३ प्रतिशत थी
इस समय लगभग ६२ प्रतिशत है
यानि १ प्रतिशत सालाना भी नहीं बढ़ी
अनाज का दाम तो किसानो को मिल रहा है लेकिन
लाभ कमा रही हैं कम्पनियाँ
शुक्रिया मनमोहन सिंह जी
आपके राज़ में मज़दूर और अरबपति की रसोई में जाने वाले आटा का रेट लगभग बराबर है
लेकिन मैं दुखी हूँ प्रधानमंत्री जी
मैं खुश नहीं हूँ
मुंबई स्टाक एक्सचेंज के बढ़ते ग्राफ से
देश में ५ स्टार अस्पतालों के खुलने से
हवाई जहाज का किराया कम होने से
मैं बहुत दुखी हूँ
गाँधी की विचारधारा के मरने से
लोहिया का समाजवाद ढहने से
अम्बेडकर की नीतियों के मरने से
-रोशन प्रेमयोगी
13/05/09
शान्ति के लिए कोई डिस्टर्ब करने वाला चाहिए
तुम्हारे जाने से घर बहुत सूना है
सोचता था कुछ दिन तुम नही रहोगे
तो घर में उथल-पुथल नही रहेगी
मैं कुछ खास लिख सकूंगा
लेकिन ७ दिनों से कुछ न लिख सका
तुम्हारे जो प्लास्टिक के
हाथी, घोडे, हिरन, जिराफ, बकरी, कछुए
मेरी परेशानी का कारण बनते थे
रात में बेड पर चुभते थे
वह सब औंधे मुंह पड़े हैं
कुछ मेरे बेड, मेज और फ्रिज के ऊपर पड़े हैं
ढेर सारे अलमारी में बहुत से आड़े-तिरछे पड़े हैं
वह सब मुझे सोने नही देते
जगाता हूँ उन्हें बार-बार इसलिए कि वे उदास न लगे
वे कभी-कभी भूखे लगते हैं प्यासे भी
मैं चाहता हूँ उन्हें नज़रंदाज करके ख़ुद खा लूँ
खाता हूँ तो पेट नही भरता
सोता हूँ तो नींद नहीं आती
लिखने-पढ़ने बैठता हूँ तो मन नहीं लगता
दिन भर ऑफिस में रहने के बाद घर आता हूँ तो घर उदास लगता है
तुम्हारी याद आती है
काश तुम होते
ये जानवर खुशहाल लगते
तुम इनके साथ मिलकर मुझे डिस्टर्ब करते
तन परेशान होता लेकिन मन उदास न होता
अब समझ गया हूँ एकांत कि अर्थ
अकेला होकर एकांत नही मिलाता
एकांत के लिए समाज चाहिए
शान्ति के लिए कोई डिस्टर्ब करने वाला चाहिए
(अपने बेटे धरातल को याद करते हुए)
-रोशन प्रेमयोगी
25/04/09
जब तुम इनमे से कुछ गुनगुनाओगे
मै आपको चाँद तोड़कर तो नही दे सकता
मै अपने हाथों से ईंट भी नही तोड़ सकता
मैं नदी की धारा नही मोड़ सकता
फ़िर भी मैं बहुत कुछ केर सकता हूँ
मैं आपको चाँद का सपना दिखा सकता हूँ
मैं आपके सपनों की परवरिश कर सकता हूँ
मैं बता सकता हूँ कल्पना में यथार्थ कितना है
यथार्थ में झूठ कितना है
मैं सिखा सकता हूँ अपने सुख को कैसे बांटो
मैं बता सकता हूँ अपने दुःख को कैसे एन्जॉय करो
लेकिन यह मत सोचो मेरे पास कोई जादुई छड़ी है
या फ़िर समय को कंट्रोल कराने वाली घड़ी है
मेरे पास सिर्फ़ रास्ते हैं
जो तुम्हारी मंजिल तक भी जाते हैं
मेरे पास सपने हैं
जो तुम्हारे दिल तक जाते हैं
मेरे पास एक आईना है
जिसमे देखकर अपना चेहरा
तुम गुनगुना सकते हो कोई प्रेम गीत
कोई भजन
कोई निर्गुण
जब तुम इनमे से कुछ गुनगुनाओगे
मुझे कोई सुरीला साज़ बजाते पाओगे
-रोशन प्रेमयोगी
23/03/09
कोई पतवार गढो फ़िर से
14/03/09
तुम्हारा प्यार फूल बन जय
जो चाहते हो
तुम्हारा प्यार फूल बन जय
काँटों को भी महकाए
जो चाहते हो
तुम्हारा प्यार हवा बन जाए
pahadhon को भी sheetalata pahunchaye
जो चाहते हो
तुम्हारा प्यार pani बन जाए
aasaman की भी pyas bujheye
जो चाहते हो
तुम्हारा प्यार rooh बन जाए
कृष्ण भी उसे pane को lalachye
to milo vidhya शर्मा से
jinka प्यार nihal है
परिवार khushahal है
(vidhya mere naye upanyas FOUNTEN LOVE ki main kirdar hain)
-रोशन premyogi
09/03/09
होली मेरे लिए सपना है
मुझे पसंद है पीला रंग
पीली कनेर की तरह हो जो भीनी खुशबू वाला
जिसमे हो एक सपना एक प्यार एक मर्यादा
एक उमँग एक तरंग
मुझे पसंद है सपना को देखना
मुझे पसंद है सपना से प्यार करना
मुझे पसंद है कनेर का फूल देखना
मुझे पसंद है पीला रंग
अजीब बात यह है मैं कनेर सा पीला रंग खेलना चाहता हूँ
जिसमे भीनी खुशबू हो
जो बाजार में नही मिलाता
सो मैं सपना से खेलता हूँ रंग
फूलों को देख मन में भर लेता हूँ उमँग
होली मेरे लिए सपना है
होली मेरे लिए पीली कनेर है
होली मेरे लिए मन की उमँग है
होली मेरे लिए गीत है
जिसे केवल याद करता हूँ गाता नही
क्यों की मेरा सुर नहीं अच्छा है
वैसे भी मुझे केवल गुनगुनाना अच्छा लगता है
क्योंकी मई नही चाहता की लोग जान लें की
रोशन को येही गीत पसंद है
लोग यह जान लेंगे तो नज़र लगा देंगे
-रोशन प्रेमयोगी
04/03/09
जिन्हें रिश्ते नहीं मिलते
उन्हें गैरों ने पाला है
वे हर मौसम में खिलते हैं
ऐसे रंगों में ढाला है
-रोशन प्रेमयोगी
उजाले की तलाश
मेरी पलको तले था एक सपना
थोड़े अंधेरे में
उजाला तलाश रहा था सपने में
सुबह से ही नही थी बिजली
जब मै था उजाले के बेहद करीब
अचानक जल गया बल्ब
टूट गया सपना बुझ गया प्रकाश
कल जब शाम ढल रही थी
बहुत याद आयी तुम्हारी
अगर तुम होती घर में बल्ब न जलाता
खली पंखा चलता
बड़ा होता मेरा सपना
हासिल कर लेता मै प्रकाश